केंद्र का हाईकोर्ट में जवाब : लिव इन रिलेशनशिप की उम्र भी 21 साल करने पर केंद्र करेगा मंथन
चंडीगढ़। Center will brainstorm on making the age of live-in relationship to 21 years too: स्कूल और कॉलेज की उम्र में बालिग होने की दलील देकर हाईकोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि अगली सुनवाई पर सहमति संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) के लिए न्यूनतम आयु 21 साल करने तथा बिना परिजनों की अनुमति के लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने पर जवाब सौंप दिया जाएगा।
हाईकोर्ट में एक सुरक्षा से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि भारत का वयस्कता कानून 150 साल पुराना है। इस पुराने कानून में आज की परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तन अनिवार्य है। आज जो स्कूल और कॉलेज जाने की उम्र है, उसमें सहमति संबंध की बात कहते हुए वयस्क होने की दलील देकर हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि आज की परिस्थिति के अनुरूप अब इस दिशा में फैसला लेना जरूरी हो गया है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने हाईकोर्ट को बताया कि वह इस विषय पर संबंधित मंत्रालय से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि वह बाल विवाह निषेध अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन कर विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने (लड़की के विवाह की आयु बिना परिजनों की अनुमति के न्यूनतम 21 वर्ष करने), सहमति संबंध के लिए दोनों का न्यूनतम 21 वर्ष का होना अनिवार्य करने तथा लड़के व लड़की दोनों की वयस्कता की आयु को 21 वर्ष करने के लिए अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में हलफनामा सौंप देंगे।